कविता – जीवन की रीत

सी ए राकेश वार्ष्णेय, नई दिल्ली शीर्षक – जीवन की रीत गिरकर उठना उठकर गिरना ,यही जीवन की रीत है ।कुछ मत सोच तू प्यारेये ही जीवन की प्रीत है। इस जीवन का यही है