लेख : समाज और राष्ट्र निर्माण की प्रथम सीढ़ी
यकीन मानिए—जीवन केवल अपने सपनों, संघर्षों और उपलब्धियों का नाम नहीं है। जीवन के अनेक पहलू होते हैं, और उन सभी में सबसे महत्वपूर्ण यह है कि हम अपनी क्षमता का उपयोग केवल अपने लिए नहीं, बल्कि समाज के लिए कितनी दूर तक कर पाते हैं।

हर व्यक्ति में कुछ न कुछ विशिष्टता होती है—कोई नेतृत्व कर सकता है, कोई मार्गदर्शन दे सकता है, कोई सेवा कर सकता है और कोई बदलाव ला सकता है। लेकिन इन क्षमताओं का असल मूल्य तभी है जब उसके परिणाम से किसी और का भी जीवन थोड़ा बेहतर, थोड़ा सरल और थोड़ा सुरक्षित हो सके।
समाज निर्माण और राष्ट्र निर्माण की पहली सीढ़ी यही है—
“अपने हर कार्य में दूसरों के जीवन को सुगम बनाने का प्रयास करना।”
जब हम अपने प्रयासों से किसी जरूरतमंद की मुस्कान बनते हैं, किसी परिवार की समस्या हल करते हैं, युवाओं को दिशा देते हैं या किसी क्षेत्र में विकास का मार्ग प्रशस्त करते हैं, तभी हमारा कार्य पूर्णता प्राप्त करता है।
बीते कुछ महीनों में भी कई सामाजिक गतिविधियों*, *युवा संवाद कार्यक्रमों, जनसेवा अभियानों और विकास से जुड़े प्रयासों में शामिल होकर यही अनुभूति मिली कि व्यक्ति का कर्म तभी सार्थक है जब वह समाज को जोड़ता है और लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है।
आज जब इन गतिविधियों की अर्थपूर्ण तस्वीरें आपके सामने साझा की जा रही हैं, तो यह केवल पल का दस्तावेज़ नहीं, बल्कि कर्तव्य, प्रतिबद्धता और समाज के प्रति उत्तरदायित्व का प्रतीक है।
