हिंदी भवन के सभागार में माँ हिंदी को समर्पित एक गरिमामय उत्सव के रूप में स्मरणीय बन गया.
14 दिसंबर 2025 का दिन हिंदी भवन के सभागार में माँ हिंदी को समर्पित एक गरिमामय उत्सव के रूप में स्मरणीय बन गया। संस्था के तेरहवें वार्षिकोत्सव ने पूरे वातावरण को हिंदी की सुगंध से सराबोर कर दिया। माँ सरस्वती की वंदना से आरंभ हुआ यह आयोजन अंत तक ऊर्जा, अनुशासन और रसात्मकता से परिपूर्ण रहा।

खेमेन्द्र सिंह जी एवं डॉ. वर्षा जी का सधा हुआ, समयबद्ध और प्रभावशाली संचालन कार्यक्रम की जीवंतता का आधार बना।
हिंदी की गूंज द्वारा प्रदान किए गए साहित्य सम्मान के लिए मैं हृदय से कृतज्ञ हूँ।
यह स्नेह और विश्वास मेरे लेखन को नई ऊर्जा और उत्तरदायित्व प्रदान करता है।
संस्था के प्रति हार्दिक आभार एवं मंगलकामनाएँ।
शशि प्रकाश जी ने अपने सशक्त व्यक्तित्व और सारगर्भित वक्तव्य में संस्था की विकास-यात्रा को संक्षेप में प्रस्तुत कर श्रोताओं के मन में गहरा सम्मान उत्पन्न किया, वहीं लौह कुमार जी ने हिंदी को रोजगार से जोड़ने के प्रेरक सूत्र देकर भाषा के व्यावहारिक महत्व को रेखांकित किया।
डॉ. शर्मा,डॉ. विनोद प्रसून, डॉ श्याम के गीत, ग़ज़ल और काव्य प्रस्तुतियों ने कार्यक्रम को स्मरणीय बना दिया। जीवन जोशी द्वारा संस्था के लिए निर्मित कलाकृति बहुत अद्भुत थी।
हिंदी और समाज-सेवा के क्षेत्र में समर्पित व्यक्तित्वों का सम्मान करते हुए संस्था ने बारह वर्षों से चली आ रही अपनी परंपरा को आगे बढ़ाया और हिंदी के प्रचार-प्रसार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। मंचासीन सारस्वत अतिथियों ने ज्ञानवर्धक उद्बोधनों के साथ संस्था के संयोजक नरेंद्र सिंह नीहार की हिंदी के प्रति निष्ठा और पूरी टीम की एकजुट मेहनत की मुक्तकंठ से प्रशंसा की। आयोजन में उनकी युवा टीम की महीनों की साधना स्पष्ट रूप से परिलक्षित हो रही थी।
अनेक आत्मीय और विशिष्ट जनों से मिलना अत्यंत सुखद अनुभव रहा।
*हिंदी की गूंज द्वारा प्रदान किए गए साहित्य सम्मान के लिए मैं हृदय से कृतज्ञ हूँ।
यह स्नेह और विश्वास मेरे लेखन को नई ऊर्जा और उत्तरदायित्व प्रदान करता है।
संस्था के प्रति हार्दिक आभार एवं मंगलकामनाएँ।*
आदरणीय नरेंद्र सिंह निहार जी हम सदैव आपके साथ हैं। आप कभी किसी काम के योग्य समझें तो अवश्य बताइएगा।
